।दोस्तों हमारे देश में एक के बाद एक त्यौहार आते रहते हैं। हर त्यौहार अपने साथ अलग अलग मायने और खुशियां लेकर आती हैं। इन सभी त्यौहारों में दीवाली सबसे खाश हैं दीवाली खुशियों का त्योहार हैं। Diwali आते ही लोगो के मन में एक अलग ही उत्साह भर जाता हैं।
दिवाली जिसे रौशनी के त्यौहार के रूप में मनाते हैं उसके आते ही बच्चों के खुशी का ठिकाना नहीं होता फुलझड़ी पटाखे उनके अंदर खुशी भरते हैं हम लोग हर साल बड़े ही धूम धाम से दीवाली का त्यौहार मनाते हैं मिठाइयां बांटते हैं पर क्या आपने कभी सोचा है कि हम लोग हर साल दिवाली क्यों मनाते हैं।
ऐसे में बहुत से लोग कहंगे की अपने घर में धन धान्य स्वास्थ्य को बरकरार रखने के लिए दीवाली मनाया जाता हैं पर सिर्फ इतना कह देना ही काफी नहीं है दिवाली का महत्व इससे भी कई ज्यादा है दिवाली के महत्व व दिवाली मनाये जाने के पीछे का कारण समझाने के लिए हम यह आर्टिकल लेकर आए हैं।
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Diwali का त्यौहार क्यों मनाया जाता हैं ?
Diwali जो की दीपों का त्यौहार हैं वैसे तो पूरे भारत में मनाई जाती हैं। पर भारत के अलग अलग राज्यों में दिवाली अलग अलग ढंग से मनाई जाती है दिवाली के दिन गणेश लक्ष्मी की ही पूजा होती हैं। पर पूजा विधि में अंतर देखने को मिलता हैं।
दिवाली के दिन गणेश लक्ष्मी के साथ साथ माँ काली की भी पूजा की जाती हैं दिवाली मनाये जाने के पीछे बहुत सी लोक कथाये प्रचलित हैं। चलिये अब इन लोक कथाओं के माध्यम से जानते हैं।
कि क्यों भारत के अलग अलग राज्यों में पूजा विधि में अंतर पाया जाता हैं और क्यों हम सब हर साल इतने धूम धाम से दिवाली मनाते हैं।
Diwali मनाये जाने के पीछे की कहानियाँ ?
दिवाली मनाये जाने के पीछे हमारे माइथोलॉजी यानी धर्म शास्त्र में सिर्फ एक या दो भगवानो की ही नहीं अपितु कई भगवानों की कहानियाँ विख्यात हैं जिनमे से कुछ हम आप को बताने वाले हैं :-
राम जी चौदह वर्ष का वनवास पूरा करके लौटे थे !
जैसा कि हम सब जानते हैं कि भगवान राम को चौदह वर्ष का वनवास दिया गया था इस वनवास के दौरान ही रावण ने माता सीता का अपहरण कर लिया था।
माता सीता के अपहरण हो जाने के कारण ही श्री राम और रावण के बीच भयंकर युद्ध हुआ इस युद्ध में राम जी ने रावण को हरा दिया और अपने 14 वर्ष के वनवास को पूरा कर अयोध्या लौटे जब राम जी अयोध्या लौट ही रहे थे।
तो उनके लौटने की खुशी में सभी अयोध्या वासियों ने उनके स्वागत के लिए अपने घरों में साफ सफाई की और पूरे अयोध्या को दीपों से सजा दिया तब से राम जी के लौटने के खुशी में हर साल दीवाली मनाई जाती हैं।
हिरण कश्यप का वध !
हिरण कश्यप जो कि एक बहुत ही अत्याचारी राजा थे जब उनका अत्याचार बहुत अधिक बढ़ गया तब लोगो को उसके अत्याचार से मुक्त कराने के लिये विषणु जी ने नरसिंह अवतार लिया और हिरण कश्यप का वध कर लोगो को उनके अत्याचार से मुक्त किया राक्षस रूपी राजा के वध की खुशी में पूरी प्रजा ने घी के दिये जला कर दिवाली मनाई ।
नरकासुर का वध !
जब नरकासुर का अत्याचार बहुत अधिक बढ़ गया था तब भगवान कृष्ण जी ने दिवाली से एक दिन पहले चतुर्दशी के दिन नरकासुर का वध कर दिया नरकासुर के वध के खुशी में पूरे गोकुल वाशियों ने अमावस्या यानि दिवाली के दिन घी के दिये जलाकर बुराई पर अच्छाई के जीत के रूप में दिवाली मनाई।
Diwali के दिन माता लक्ष्मी, धन्वंतरि और कुबेर जी की उत्पत्ति की कहानी !
लोक कथाओ की माने तो ऐसा माना जाता हैं। कि दीवाली के दिन माँ लक्ष्मी जी दूध के सागर यानि केसर सागर से प्रकट हुई थी साथ ही ऐसा भी माना जाता कि दिवाली के दिन सागर मंथन से आरोग्य धन्वंतरि और कुबेर जी प्रकट हुए थे।
इसीलिए अपने घर मे धन धान्य स्वास्थ सब बनाये रखने के लिए लक्ष्मी जी के साथ गणेश जी और साथ ही कुबेर की भी पूजा की जाती हैं।
माता पार्वती के महाकाली रूप धारण करने की कहानी !
सुम्भ निसुम्भ जो राक्षसों के राजा थे उनका वध केवल एक स्त्री के हाथों ही हो सकता हैं। इसी कारण सभी देवों ने मिलकर माता पार्वती को उनकी असली शक्तियों का ज्ञान करवाया पर जब माता पार्वती ने महाकाली का रूप लेकर सारे दानवो का वध कर दिया फिर भी उनका क्रोध शांत नहीं हुआ उनके क्रोध को शांत करने के लिये शिव जी माता के मार्ग में लेट जाते हैं।
जिससे माँ का पैर उनपर पड़ जाता है और माता का क्रोध समाप्त हो जाता हैं इसी कहानी को याद रखने के लिये दिवाली के दिन रात के समय माँ पार्वती के रौद्र व भयावह रूप की आराधना की जाती हैं।
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दिवाली में किये जाने वाले कार्यक्रम ?
दिवाली के आते ही लोगों के घरों में साफ-सफाई शुरू हो जाती है लोग अपने अपने घरों को रंग करते हैं। और उन्हें फूलों सजाते हैं। साथ ही बहुत से लोग अपने घरों में रंगोली बनाकर उसकी सुंदरता को एक नया रूप देते हैं इतना ही नहीं सारी सफाई हो जाने के बाद लोग सजावट के लिए अपने घरों में लाइट्स लगाते हैं।
पूरे घर को दिये से सजाते हैं पूरी सजावट के बाद दिवाली के दिन शाम में माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती हैं और अपने दोस्तों व रिश्तेदारों के साथ खुशियां बाटने के लिए चॉकलेट और मिठाईयां भेजते हैं।
दीवाली को लोग अंधकार पर रौशनी के जीत के रूप में मनाते हैं और दिवाली को लोग खुशियां बाटने के उद्देश्य से मनाते हैं।
आपने क्या सीखा !
दोस्तों मुझे आशा हैं कि इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद आप समझ ही गये होंगे कि हमलोग दिवाली क्यों मनाते हैं। साथ ही आप को हमारे इस आर्टिकल में बताई गई कहानी भी अच्छी लगी होगी।
इस कहानी को अपने दोस्तों और रिस्तेदारों के साथ भी शेयर कीजिये आप जिस टॉपिक पर आर्टिकल पढ़ना चाहते हैं। उसका नाम नीचे कमेंट बॉक्स में डाल कीजिए धन्यवाद।