होली क्या है और होली हम क्यों मानते है ?

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Holi Kya Hai Or Holi Hum Kyon Manate Hai
Holi Kya Hai Or Holi Hum Kyon Manate Hai

Holi Kya Hai, होली हम क्यों मानते है, दोस्तों अब कुछ ही दिनों में Holi आने वाली है होली का नाम सुनकर ही लोगों के मन में अलग ही उत्साह भर जाता है बच्चा हो या फिर‌ बूढ़ा होली के आते ही सबके चेहरे पर एक अलग ही हंसी आ जाती है और बच्चों का तो कहना है क्या ऐसा लगता है यह त्यौहार खास उन्हीं के लिए ही आया है।

मेरे तेरा आप सभी को भी होली पसंद होगी और हम सब जानते हैं कि Holi Kya Hai, लेकिन बहुत कम लोगों को पता है कि होली क्यों मनाया जाता है साथ ही बहुत कम लोग इस बारे में जानते हैं कि होली खेलने की शुरुआत कब हुई थी।

ऐसे में अगर आप को भी इस बारे में जानकारी नहीं है तो हमारा यह पोस्ट आपको जरूर पढ़ना चाहिए इस पोस्ट को पढ़कर आपको होली के बारे में हर छोटी बड़ी जानकारी मिल जाएगी इसीलिए इस पोस्ट का फायदा उठाने के लिए इसे पूरा जरूर पढ़िए।

अब बिना समय गवाएं सीधे पॉइंट पर आते हैं और होली से जुड़ी कुछ मजेदार चीजों पर गौर करते हैं।

Holi Kya Hai ?

होली रंगों का त्योहार है होली में लोग एक दूसरे को रंग लगाते हैं और अपनी खुशियां बांटते हैं ऐसा भी कह सकते हैं कि होली में लोग एक दूसरे को रंग लगाकर एक दूसरे के प्रति अपने प्रेम को दर्शाते हैं।

ऐसा भी माना जाता है कि होली के दिन दुश्मन भी अपनी दुश्मनी भुलाकर एक दूसरे को रंग लगाते हैं और दोस्त बन जाते हैं।

साथ ही साथ होली में कई मजेदार पकवान भी बनाए जाते हैं यही कारण है कि बच्चे इस त्यौहार का पागलों के तरह इंतजार करते हैं एक तरफ रंगों की मस्ती और दूसरी तरफ जायकेदार पकवान होली के त्यौहार की शोभा बढ़ाता है।

होली हम क्यों मानते हैं ?

Holi Kya Hai Or Holi Hum Kyon Manate Hai

दूसरों त्योहारों की तरह होली मनाने के पीछे भी एक पौराणिक कथा है बहुत समय पहले की बात है हिरण्यकश्यप नाम का एक बहुत शक्तिशाली असुर था जिससे इंसानों के साथ साथ भगवान भी डरते थे इस असुर को ब्रह्मा जी से वरदान मिला था कि कोई इंसान और ना ही कोई जानवर मार सकता हैं।

इस असुर को ना ही किसी अस्त्र मारा जा सकते हैं या नो ही शस्त्र से, ना घर के बाहर और ना ही अन्दर, ना ही दिन में और ना ही रात में, ना ही धरती में मारा जा सकता है और ना ही आकाश में।

ऐसा वरदान प्राप्त कर हिरण्यकश्यप पहले से और भी ज्यादा क्रूर हो गया और हर जगह त्राहि-त्राहि मचाने लगा। लेकिन उस क्रूर के घर में उसका पुत्र प्रहलाद स्वयं बहुत बड़ा विष्णु भक्त था। और हिरण्यकश्यप को यह बात बिल्कुल मंजूर ना थी कि उसका पुत्र भगवान विष्णु की पूजा करें।

उसने बहुत कोशिश की अपने पुत्र को रोकने के की लेकिन उसके पुत्र ने अपनी भक्ति नहीं छोड़ी। इसीलिए परेशान होकर हिरण्य ने अपने ही पुत्र को मृत्यु दंड दे दिया ताकि सब देख ले कर उसकी बात ना सुनने का अंजाम क्या होता है।

हिरण्यकश्यप की बहन होलिका ने इस पापी काम में अपने भाई का साथ दिया। दोनों भाई बहन ने मिलकर यह षड्यंत्र रचा कि होलिका प्रहलाद को अपनी गोद में लेकर अग्नि पर बैठ जाएगी।

जिससे प्रह्लाद जलकर भस्म हो जाएगा और होलिका को अग्नि छू भी न पाएगी क्योंकि भगवान शिव ने होलिका को एक ऐसा वस्त्र दिया था, जिसका उसके शरीर पर रहते उसे कोई भी नहीं जला सकता।

लेकिन जब होलिका प्रहलाद को अपने गोद में लेकर बैठी थी तब भगवान विष्णु की आराधना कर रहे थे विष्णु जी ने हिरण्यकश्यप और होलिका के षड्यंत्र को उल्टा कर दिया और ऐसा तूफान लाया है जिसे होलिका के शरीर पर रखा वस्त्र उड़ गया और वह जल गई वहीं प्रह्लाद को कुछ नहीं हुआ।

तब से आज तक इस घटना को होलिका दहन के नाम से जाना जाता है और इसके 1 दिन बाद होली मनाई जाती है क्योंकि बुराई पर अच्छाई की जीत दर्शाता है।

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होली का त्यौहार कैसे मनाया जाता है ?

होली का त्योहार एक दूसरे को रंग लगाकर मनाया जाता है इसमें परिवार के सभी लोग एक दूसरे के गालों पर रंग लगाते हैं और बड़े लोगों के माथे पर तिलक करके उनका आशीर्वाद लेते हैं। साथ ही लोग इस त्यौहार में बहुत ज्यादा मुस्कुराते हैं और अपनी खुशियां सबके साथ बांटते हैं।

होली में रंग क्यों लगाया जाता है ?

होली में रंग खेलने का रिवाज बहुत ही पुराना है। ऐसा माना जाता है कि द्वापर युग से लोग होली में रंगों का प्रयोग करते थे। यह कहानी श्री कृष्ण और राधा से जुड़ी है।

श्री कृष्ण हमेशा यह शिकायत करते थे कि राधा इतनी गोरी क्यों हैं और वे इतने काले क्यों हैं इसीलिए उनकी मां यशोदा ने एक बार उन्हें सुझाव दिया की होली में कृष्ण राधा को रंग लगाकर उन्हें किसी भी रंग में देख सकते हैं।

राधा के संग और गोपियों को रंग में देखना कृष्ण को बहुत अच्छा लगता था। और ब्रिजवासियों को कृष्ण की नटखटता खूब भाती थी। यह कारण है कि तब से होली में रंग अबीर गुलाल का प्रयोग किया जाता है।

होली खेलने के लिए तय्यारी कैसे करे ?

यह परेशानी तो हम सभी को झेलनी पड़ती है कि हमारे परिवार में या दोस्तों में कुछ लोग ऐसे होते हैं जिन्हें होली खेलना नहीं पसंद होता है लेकिन अगर आप उन्हें भी अपने साथ होली खेलने के लिए मनाना चाहते हैं।

तो आप को उन्हें इस त्यौहार की महानता के बारे में बताना होगा। साथ ही यह बताना होगा कि यह त्यौहार केवल रंगों का नहीं बल्कि खुशियों का त्यौहार है जिसमें लोग एक दूसरे को रंग नहीं लगाते बल्कि अपनी खुशी उनसे बांटते हैं।

साथ ही ऐसे लोगों के लिए आप पक्के रंगों का प्रयोग ना करें। होली खेलते समय गुलाल या अबीर का प्रयोग कीजिए जिससे दूसरे भी इसका आनंद ले सके।

FAQ

होली पूजन कब है ?

2021 में होली पूजन 28 मार्च के शाम को शुरू हो रहे हैं और 29 मार्च के शाम को खत्म हो रही हैं।

होली का अर्थ क्या है ?

होली का शाब्दिक अर्थ पवित्रता हैं। होली पवित्रता को दर्शाती हैं होली एक ऐसा त्यौहार है, जिसमें अगर पवित्रता का समन्वय हो जाए तो होली की महानता और अधिक बढ़ जाती हैं।

राजस्थान में होली कब है ?

इस साल राजस्थान में भी होली 28 मार्च के शाम को शुरू हो रहे हैं और 29 मार्च के शाम को खत्म हो रही हैं।

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दोस्तों मैं उम्मीद करती हूं Holi Kya Hai Or Holi Hum Kyon Manate Hain, आपको समझ आ गया होगा साथ ही होली से जुड़ी सभी जानकारी भी आपको मिल गई होगी।

अगर आपको हमारा काम पसंद आया हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया में शेयर करना बिल्कुल ना भूलें।

हम आपके लिए ऐसे काम के आर्टिकल लेकर आते हैं और एक ही पोस्ट में पाठक को सभी जानकारी देने की कोशिश करते हैं ताकि पाठकों को सारी जानकारी एक ही जगह पर मिल जाए जिससे उनका का समय रिसर्च पर वेस्ट ना हो यह पोस्ट आपको कैसा लगा नीचे कमेंट करके जरूर बताएं धन्यवाद।

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