दोस्तों जैसा की हम सब जानते हैं हमारे हिन्दू धर्म में कहानियों का भंडार हैं और कहानियां सुनना किसे पसन्द नहीं होता इसलिए इन्ही कहानियों में से एक हमारे प्यारे बाल गोपाल की कहानी हम आप को सुनाने जा रहे हैं आज हम आप को बताने वाले हैं कि Janmashtami क्यों मनाया जाता हैं।
इसमें बहुत से लोग कहेंगे कि इस दिन श्री कृष्ण का जन्म हुआ था पर सिर्फ इतना कहना काफी नहीं हैं क्योंकि श्री कृष्ण जी के जन्म के साथ हुई घटनाएँ ही इस दिन के महत्व को और अधिक बढ़ा देती हैं अतः इस दिन के महत्व को समझने के लिये व Janmashtami की पूरी कहानी जानने के लिए इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़िये और कृष्ण प्रेम में लीन हो जाइये।
जन्माष्टमी हिंदुओं के मनपसंद त्यौहारों में से एक है इसीलिए जन्माष्टमी के आने से पहले ही लोग बड़े जोरो से इसकी तैयारी में लग जाते हैं।
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Krishna Janmashtami Kya Hai ?
Janmashtami का त्यौहार श्री कृष्ण जी जो भगवान विषणु के आठवें अवतार माने जाते हैं उनके जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता हैं।
द्वापरयुग में जब कंस का अत्याचार बहुत अधिक बढ़ गया था और लोगो की स्थिति बहुत दयनीय हो गई थी उस समय हिंदी कैलेंडर के भाद्रपद के महीने में श्री कृष्ण जी का जन्म कंस की बहन देवकी और वासुदेव के नौवें पुत्र के रूप में हुआ था उनका जन्म का कारण ही कंस का वध करना था।
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जन्माष्टमी क्यों मनाया जाता हैं ?
जैसा कि लोक कथाओं में प्रचलित हैं श्री कृष्ण जी का जन्म तब हुआ था जब उनकी माता देवकी और पिता वाशुदेव कंस द्वारा दिये कारावास में सजा काट रहे थे जिस दिन श्री कृष्ण जी का जन्म हुआ था वो एक तूफानी रात थी जिसमे वाशुदेव अपने पुत्र को कंस से बचाने के लिये उन्हें गोकुल में नन्द और यशोदा के पास ले जाने का निशचय किया।
लेकिन वाशुदेव बेड़ियों में जकड़े हुए थे और कारवास के बाहर कंस के सैनिक पहरेदारी कर रहे थे ऐसे में वो सोच रहे थे कि किस तरह वे कृष्ण को गोकुल छोड़ कर आयेंगे वासुदेव इस बात से दुःखी ही थे तब एक चमत्कार हुआ अचानक वासुदेव की बेड़ियाँ खुल गई सैनिक सो गए उस तूफानी रात में वासुदेव श्री कृष्ण जी को एक टोकरी में रखकर अपने सिर पर उठाये यमुना नदी को पार कर रहे थे।
और यमुना का पानी वासुदेव को डुबाते जा रही थी पर जैसे ही कृष्ण जी के चरण यमुना पर पड़े वेसे ही यमुना का पानी कम हो कर घुटने तक आ गया और फिर वासुदेव गोकुल जाकर कृष्ण जी को यशोदा वासुदेव के यहाँ छोड़ कर कारावास वापस आ जाते हैं।
कृष्ण जी बालपन से ही नटखट स्वभाव के थे और गोकुल वासियों का हर्दय अपनी लीलाओं से जीत लेते थे सभी के चहीते होने के कारण गोकुल वासी उनके जन्मदिन को एक उत्सव के तरह मनाने लगे और तभी से जन्मास्टमी एक त्योहार के रूप में मनाया जाने लगा।
जन्मास्टमी में किये जाने वाले कार्यक्रम ?
Janmashtami के दिन कृष्ण जी की बाल रुप की उपासना की जाती हैं इन दिनों सभी जगह हर्ष उल्लास का माहौल बना होता हैं चारो तरफ कृष्ण जी के झाकी में विराजमान स्वरूप ही दिखाई देते है मंदिरों में भी श्री कृष्ण जी को झूले में बैठाया जाता हैं और बड़े ही सुंदर ढंग से सजाया जाता हैं लोग कृष्ण जी को एक नन्हे बच्चे के तरह प्रेम करते हैं और उनका जन्मदिन भी एक नटखट बालक के जन्मोत्सव के रुप मे मनाते हैं इसीलिए बहुत से लोग श्री कृष्ण के बाल रूप की मूर्ति अपने घरों में लाते हैं और उनकी आराधना करते हैं।
फिर उनके मूर्ति को गंगा जल से स्नान कराकर उन्हें अच्छे से सजाते है सजाने के बाद उन्हें झूले में बैठाते हैं ये दृश्य अत्यंत सुंदर होता हैं ऐसा लगता हैं जैसे कोई मूर्ति नहीं बल्कि स्वयं कृष्ण जी को लोग झूले पर झुला रहे हैं।
अलग अलग जगहों पर Janmashtami अलग अलग ढंग से मनाया जाता हैं कुछ जगहों पर जन्माष्टमी के दिन फूलों की होली खेली जाती हैं तो कुछ जगहों पर रंगों की होली खेली जाती हैं पर सबसे ज्यादा जन्माष्टमी पर दही हांडी का खेल खेला जाता हैं पर जिस तरह से मथुरा नगरी (जो कृष्ण जी की जन्मभूमि हैं) में जन्माष्टमी मनाई जाती हैं उसकी बात ही अलग हैं।
दही हांडी का खेल :
हम सब जानते हैं कि कृष्ण जी को दही, माखन कितना अधिक प्रिय था और इसी कारण वे पूरे गोकुल वासियों के घर से माखन चुरा कर खाते थे एक दिन यशोदा माँ
श्री कृष्ण जी को माखन चोरी करने से रोकने के लिए उन्हें एक खम्बे से बांध देती हैं और तभी से श्री कृष्ण जी का नाम माखन चोर पड़ गया।
सारे गोकुल वासी अपने घर के दही माखन को माखन चोर से बचाने के लिये माखन के हांडियों को काफी उचाई पर बांध देते हैं पर उनका ये तरीका भी कृष्ण जी को माखन चुराने से नहीं रोक सके क्योंकि नटखट होने के साथ साथ कृष्ण जी चालक भी थे उन्होंने अपने मित्रों के साथ मिलकर योजना बनाई और एक साथ मिलकर उस दही के हांडी से माखन चुरा लिया।
दही के हांडी को इस तरह से तोड़ने के कारण ये आगे चलकर एक खेल बन गया और कृष्ण जी के जन्मोत्सव पर खेला जाने लगा इस खेल की एक और खास बात यह हैं कि इसमें हांडी तभी तोड़ी जा सकती हैं जब लोगों के बीच गहरी मित्रता हो तो इस तरह ये खेल लोगो के बीच दोस्ती को और गहरा करने में भी मदद करता हैं।
दूसरे देशों में जन्माष्टमी :
ऐसा नहीं हैं कि केवल भारत में ही जन्माष्टमी मनाई जाती हैं भारत के अलावा भी कुछ ऐसे देश हैं जहाँ जन्माष्टमी का त्योहार बहुत अच्छे ढंग से मनाया जाता हैं जैसे नेपाल, बांग्लादेश, फिजी।
दोस्तों मुझे आशा हैं कि अब आप अच्छे से समझ गये होंगे कि जन्माष्टमी क्यों मनाई जाती हैं और साथ ही साथ इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद तो आप इस त्यौहार के महत्व को भी समझ गये होंगे धन्यवाद।