भाई दूज क्यों मनाया जाता है, भाई दूज की कहानिया ?

0
250
Bhai Dooj Kyu Manaya Jata Hai

Bhai dooj का ये दिन भाई बहनों के लिए बहुत ही खास होता हैं पर कोरोना के इस मुश्किल दौर में हम किसी भी त्यौहार को उस तरह नहीं मना पा रहे हैं।

जैसा पिछले कुछ वर्षों में मनाते थे लेकिन जो भी हो कोरोना के कारण किसी भी त्यौहार का महत्तव ख़तम नहीं होता साथ ही कोरोना वायरस के कारण इस वर्ष जो भाई बहन एक दूसरे से मिल नहीं पा रहे हैं।

उनके दुख को कम करने के लिए साथ ही उन्हें इस त्यौहार के असल मायने समझाने के लिए हम आप के लिए ये आर्टिकल लेकर आए है इसमें हम आप को बताऐंगे कि भाई दूज क्यों मनाया जाता हैं और किस तरह ये भाई बहन के रिश्ते को मजबूत बनाता हैं।

Bhai Dooj क्या हैं ?

भाई दूज भाई बहन के द्वारा मनाया जाने वाला हिन्दुओं का एक त्यौहार हैं ये त्यौहार दीवाली के दो दिन बाद मनाया जाता हैं इस त्यौहार में बहन व्रत रख कर अपने भाई के हाथों में रक्षा धागा बांधती हैं, मिठाई खिलाती हैं और अपने भाइयों के लंबे उम्र की प्रार्थना करती हैं अपने भाइयों को खिलाने के बाद बहने अपना व्रत खोलती हैं व भोजन ग्रहण करती हैं।

 ⇓ भाई दूज का त्यौहार इस साल कब मनाया जायेगा ⇓ 

भाई दूज का त्यौहार इस वर्ष दीवाली के दूसरे दिन यानि हिन्दू कैलेंडर के कार्तिक महीने में शुक्ल पक्ष के दूसरे दिन मनाया जाता हैं इस साल ये त्यौहार 16 नवंबर 2020 के दिन मनाया जायेगा।

Read Also:- Diwali क्यों मनाई जाती है – दिवाली का त्यौहार क्यों मनाया जाता हैं ?

भाई दूज कौन लोग मनाते हैं ?

भाई दूज तो वैसे हिन्दुओं का त्यौहार हैं भारत के सभी लोग अलग अलग नामों से इस त्यौहार को मनाते हैं भाई दूज को महाराष्ट्र,गोवा,गुजरात, राजस्थान और पश्चिम बंगाल में भी मनाया जाता हैं।

पश्चिम बंगाल में बंगाली लोगों इस त्यौहार को भाई पोटा के नाम से पुकारते हैं वहीं दूसरे तरफ महाराष्ट्र में इस त्यौहार को भाऊ-बीज के नाम से पुकारा जाता हैं।

राजस्थान में इस त्यौहार को मारवाड़ी लोग गोधन के नाम से पुकारते हैं साथ ही इस त्यौहार को भाई टीका के नाम से भी पुकारा जाता हैं माना कि इस त्यौहार को अलग अलग नाम से पुकारा जाता हैं पर सभी त्यौहार भाई बहन के रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए ही मनाया जाता हैं।

जैसा कि आप सब जानते हैं हम हिन्दुओं के सभी त्यौहार मनाए जाने के पीछे कोई न कोई कारण जरूर होता हैं वैसे ही भाई दूज के इस पावन त्यौहार मनाने के पीछे भी एक ऐतहासिक कारण हैं और ये कारण हमारे माइथोलॉजी से जुड़ा हुआ हैं।

इस त्यौहार को लेकर अलग अलग लोगों की अलग अलग धारणा होती हैं ऐसा माना जाता हैं कि इस दिन यम देव की आराधना की जाती हैं ताकि अकाल मृत्यु को टाला जा सके साथ ही ऐसा भी कहा जाता हैं कि इस दिन यमुना जी (जिन्हें समस्त कष्टों का निवारण करने वाली देवी का स्वरूप माना जाता हैं) की भी पूजा की जाती हैं ताकि मां यमुना भाइयों के जीवन से समस्त दुःख का निवारण कर दे।

Read Also:- दशहरा क्यों मनाया जाता है ?

भाई दूज क्यों मनाया जाता है ?

Bhai Dooj मनाने के पीछे कुछ देविक घटनाएं जुड़े हुए हैं जो हम आप को नीचे बताने वाले हैं।

यम और यमुना की कहानी :

यम और यमुना दोनों सूर्य देव और माता संज्ञा की संताने हैं सूर्य देव की तेज रौशनी को माता संज्ञा सह नहीं पा रही थी इसीलिए उन्होंने अपनी एक छाया बनाई और उसे यम यमुना के देख रेख के लिए छोड़ दिया लेकिन छाया को बच्चों से कुछ खास लगाव नहीं था पर वही दोनों भाई बहनों के बीच असीम प्रेम था।

इन दोनों का बचपन बहुत ही अच्छा था पर बड़े होते ही यम काम काज में व्यस्त होने के कारण अपना समय यमुना को नहीं दे पाते थे जिसके कारण यमुना उनसे नाराज़ और दुःखी रहती थी पर एक दिन यम अपनी बहन की नाराज़गी को दूर करने के लिए उनसे मिलने के लिए उनके घर गए।

यमुना अपने भाई को देख कर बहुत ही ज्यादा खुश हो गई और अपने भाई का स्वागत चंदन रोली का टीका करके किया साथ ही उन्हें मिठाई भी खिलाई अपने भाई यम का सत्कार करने के लिए यमुना ने अलग अलग तरह के पकवान बनाए अपना ऐसा सात सत्कार देख कर यम बहुत ही प्रसन्न हुए और यमुना को ढेर सारे तौफे दिए इतने दिन के बाद मिलने पर दोनों भाई बहन बहुत ही खुश हुए जब यम अपने बहन के घर से विदा ले रहे थे।

तब यम ने यमुना के सत्कार से प्रसन्न होकर उन्हें वरदान दिया कि इस दिन जो भाई बहन एक साथ यमुना नदी पर स्नान करेंगे उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होगी साथ ही इस दिन बहने अपने भाईयों के अच्छे सेहत की प्रार्थना करती हैं साथ ही उनके हर कष्टों से दूर होने की मनोकामना करती हैं तब से इस दिन को ‘भाई दूज’ या यम द्वितीय’ या ‘यामादविथिया’ के नाम से भी पुकारा जाता है।

कृष्ण और सुभद्रा की कहानी :

इस त्यौहार को मनाया जाने के पीछे कई और कहानियां भी हैं ऐसा माना जाता हैं कि राक्षस राज नरकासुर का वध कर जब कृष्ण अपने बहन सुभद्रा के पास जब द्वारिका लौटे तब उनकी बहन सुभद्रा ने चंदन रोली के टीके से उनकी आरती की और उनके सत्कार के लिए ५६ तरह के पकवान बनाए और अपनी भाई की अच्छी सेहत के लिए प्राथना की तबसे दीवाली के तीसरे दिन भाई बहन के रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए ये त्यौहार मनाया जाता हैं।

दोस्तों ‘Bhai Dooj क्यों मनाते हैं’ इस सवाल का जवाब अब आपको मिल चुका होगा मुझे आशा है कि आपको हमारे पोस्ट पसंद आया होगा‌।

इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आप के दिल में इस त्यौहार के लिए जो भावना हैं वो पहले से भी कई ज्यादा बढ़ चुकी होगी साथ ही आप के अंदर आप के बहन भाइयों के लिए प्यार भी बढ़ गया होगा अगर आप को ये पोस्ट पसंद आया हो तो।

आप इसे सोशल मीडिया में अपने दोस्तों के साथ भी शेयर कीजिए इस तरह के और पोस्ट पढ़ने के लिए हमारे ब्लॉग से जुड़े रहिए धन्यवाद।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here